
वाशिंगटन। एक अमरीकी अदालत ने 2005 में एक उपग्रह सौदे को रद्द किए जाने के मामले में पैसला सुनाते हुए ISRO की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स कॉरपोरेशन से बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप, देवास मल्टीमीडिया को 1.2 बिलियन डॉलर का मुआवजा देने को कहा है।
जनवरी 2005 में हुए समझौते के अनुसार, एंट्रिक्स ने दो उपग्रहों के निर्माण, प्रक्षेपण और संचालन के लिए और देवास को 70-मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराने के लिए सहमति व्यक्त की थी। इसे बाद में पूरे भारत में हाइब्रिड उपग्रह और स्थलीय संचार सेवाओं की पेशकश करने के लिए उपयोग करने की योजना बनाई गई।
लेकिन एंट्रिक्स ने फरवरी 2011 में इस समझौते को खत्म कर दिया। बाद में सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी गई और कानूनी तरीकों से समाधान की कोशिश की गई।
अब 27 अक्टूबर को सिएटल स्थित वाशिंगटन वेस्टर्न डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के दो जजों की बेंच ने अहम फैसला सुनाया है। अपने आदेश में जज थॉमस एस जिली, यूएस डिस्ट्रिक्ट जज ने एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन से कहा कि देवस मल्टीमीडिया कॉर्पोरेशन को 562.5 मिलियन अमरीकी डॉलर का मुआवजा दिया जाए और संबंधित ब्याज .2 अरब अमरीकी डॉलर है।
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