आयोडीन की कमी से हृदय के साथ दिमाग पर भी असर

दुनियाभर में करीब दो अरब लोग हैं, जो पर्याप्त मात्रा में आयोडीन अपनी डाइट में नहीं लेते हैं। इससे उनमें न केवल घेंघापन, हृदय रोगों का जोखिम बढ़ता है बल्कि दिमाग में मौजूद न्यूरॉन्स को भी नुकसान होता है। हर वर्ष 21 अक्टूबर को वल्र्ड आयोडीन डिफिशिएंसी डे मनाया जाता है।
क्यों जरूरी है आयोडीन
बच्चों में हड्डियों और दिमाग के विकास के लिए जरूरी है।
थायरॉइड हार्मोन के विकास के लिए जरूरी है। यह मेटाबोलिज्म को नियंत्रित रखता है।
विटामिन सी की तरह एंटीऑक्सीडेंट्स को एक्टिव कर इम्युनिटी बढ़ाता है।
प्रजनन अंगों को मजबूती देता है। गर्भधारण आसान होगा।
शरीर की लंबाई और वजन को भी नियंत्रित करता है।
इनमें कमी की आशंका
गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं में
रेडिएशन या कैमिकल कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों में
स्मोकिंग करने या अल्कोहल लेने वालों में
अधिक गर्भनिरोधक गोलियां लेने वाली महिलाओं में
कुछ खास बीमारियों में
जो लोग आयोडीन वाला नमक नहीं खाते हैं उनमें
कमी से दुष्प्रभाव
थायरॉइड ग्रंथि में सूजन
घेंघा रोग होना
थकान और मांसपेशियों में दर्द
वजन बढऩा, डिप्रेशन, एंजाइटी
कब्ज रहना, मासिक धर्म अनियमित हो जाना
बालों का झडऩा या कम होना
गर्भावस्था संबंधी जटिलताएं
त्वचा सूखी और परतदार
सामान्य से अधिक ठंड लगना
असामान्य रूप से दिल का धडक़ना-बच्चों में मानसिक विकास न होना
दांतों का विकास न होना



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